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घर बैठे अपने बच्चों की पढ़ने की क्षमता कैसे बढ़ायें

महामारी में स्कूलों की संपूर्ण या आंशिक बंदी का विश्व भर के बच्चों पर काफ़ी प्रभाव पड़ा है, ख़ास कर छोटे बच्चों पर। कई मामलों में बच्चों का अकादमिक जीवन लगभग समाप्त ही हो गया है। UNESCO की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कक्षा 1 से 8 वीं के बीच, क़रीब 10 करोड़ बच्चों के अकादमिक कौशल में काफ़ी गिरावट पायी गयी है।

यह स्वाभाविक है कि ये गिरावट भारत जैसे विकासशील देशों एवं अन्य अल्पविकसित देशों में ज़्यादा दर्ज हुई है। इन देशों में बच्चों की पढ़ाई का स्कूल ही प्राथमिक ज़रिया होता है। प्राथमिक शिक्षा में स्कूलों का महत्व बहुत ज़्यादा है। स्कूली शिक्षकों से बहुत कम या ना के बराबर सम्पर्क होने की वजह से बच्चे अपनी प्राथमिक शिक्षा से भी वंचित हो रहे है। छोटे बच्चों में ख़ास कर, पढ़ने का कौशल विकसित नहीं हो पा रहा है । इसी वजह से बाक़ी विषयों को समझने में भी कई बच्चे खुद को अक्षम पा रहे हैं।

अभिभावक जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं कि उनके बच्चों का अकादमिक जीवन प्रभावित ना हो। इसके लिए वे अपने बच्चों को कई तरह के ऑनलाइन प्रोग्रामों में भर्ती कर रहे हैं। लेकिन ज़्यादातर मामलों में ये ऑनलाइन प्रोग्राम भी बच्चों में पढ़ने की कुशलता पूर्ण रूप से विकसित नहीं कर पा रहे। इसके अलावा , बहुत कम ही मामलों में, बच्चों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक़ मार्गदर्शन मिल पा रहा है। ज़्यादातर अभिभावकों के लिए यह अनुभव नया और चुनौतीपूर्ण है। लेकिन सही मार्गदर्शन से और सही रणनीति को अमल में लाकर हम अपने बच्चों में पाठ्य कौशल घर बैठे भी विकसित कर सकते है। आइये समझते हैं कैसे।

  • विज़ुअल किताबों का प्रयोग ज़्यादा करें 

स्कूलों की पाठ्य सामग्री में चित्रों के मुक़ाबले लिखाई ज़्यादा होती है। लेकिन छोटे बच्चे ऐसी किताबों से ज़्यादा सीख पाते हैं जिनमें चित्र ज़्यादा होते हैं। पठन विज्ञान की भाषा में छोटे बच्चों को विज़ुअल लर्नर बोला जाता है। इसी वजह से लिखावट में भारी किताबें  छोटे बच्चों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पातीं। जिन किताबों में कार्टून चरित्र होते हैं, छोटे बच्चे स्वतः ही ऐसी किताबों को पढ़ने में रुचि लेते हैं। अगली बार जब आप किताबें ख़रीदने जायें तब ऐसी किताबों की तलाश करें जिनमें चित्रों की संख्या ज़्यादा हो या फिर कोई जाना हुआ कार्टून चरित्र मौजूद हो। ऐसी किताबों से बच्चों के पढ़ने की आदत में नियमितता आएगी और उनके पढ़ने की क्षमता का विकास होगा।

(फ़ोटो: अमर चित्र कथा जैसी किताबें जो चित्र बहुल हैं वो बच्चों को आकर्षित भी करती हैं और उनके पढ़ने की क्षमता भी बढ़ाती हैं।)

  • ऑनलाइन रीडिंग कार्यक्रम देखें:

स्कूल के ऑनलाइन क्लास के अलावा  भी आज के बच्चे यूट्यूब और डिज़्नी जैसे ऑनलाइन विडीओ प्लाट्फ़ोर्मों पर काफ़ी समय बिताते हैं। इससे कई अभिभावक बहुत चिढ़ते हैं। अभिभावकों को ये समझना चाहिए कि हर क़िस्म का स्क्रीन टाइम ख़राब नहीं होता। बच्चों पर प्रतिबंध लगाने के बजाए आप उन्हें अकादमिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों को देखने का प्रोत्साहन दें। गूगल या यूट्यूब पर “reading shows for kids” टाइप करके सर्च करें। इससे आपको कई बेहतरीन कार्यक्रमों के लिंक मिल जाएँगे। ये कार्यक्रम आपके बच्चों के दैनिक मनोरंजन व ज्ञानवर्धन का साधन बन सकते हैं।

(फ़ोटो: Kids Academy जैसी कई यूट्यूब चैनल हैं जो बच्चों की पढ़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।)
  • ऐक्टिविटी बुक या शीट का इस्तेमाल करें:

एक मशहूर चीनी कहावत है: “मैं जो सुनता हूँ वह भूल जाता हूँ, मैं जो देखता हूँ वह मुझे याद रहता है, मैं जो करता हूँ उसे मैं समझता हूँ

बच्चे जो कार्य खुद से करते हैं उसे वो बेहतर समझ पाते हैं। ऐक्टिविटी बुक या कलरिंग बुक जैसी चीजें बच्चों का ध्यान पढ़ते समय भटकने नहीं देती। ऐसी किताबें ऑनलाइन मुफ़्त में मिल जाती हैं और आप इनका प्रिंट आउट लेके अपने बच्चों को दे सकते हैं। यदि आप स्वयं कलात्मक रुचि रखते हैं, तो इन्हें आप खुद भी घर पर ही बना सकते हैं। ऐसी ऐक्टिविटी बेस्ड लर्निंग आपके बच्चों को लिखने और पढ़ने दोनों में मदद करेंगी। 

(फ़ोटो: डिज़्नी की वेबसाइट पर कई ऐसी ऐक्टिविटी शीट नि: शुल्क डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध हैं।)

  • नित्य अभ्यास पर ज़ोर डालें:

चाहे आप पढ़ने की किसी भी विधि का प्रयोग करें, नित्य अभ्यास के बिना बच्चे को दूरगामी फ़ायदा कभी नहीं होगा। दिन में कम से कम 15-20 मिनट बच्चों के साथ बैठ कर पढ़ें और उन्हें प्रोत्साहित करें कि वो परिवार के बाक़ी सदस्यों को भी पढ़ कर सुनाएँ । इससे उनके उच्चारण की क्षमता का भी विकास होगा। 

  • बच्चों में आत्मविश्वास जगायें

स्कूलों में बच्चे अपने ही आयु वर्ग के सहपाठियों के साथ एक स्वाभाविक तरीक़े से कई चीजें सीख लेते हैं। ऐसे वातावरण में वो गलती करने से झिझकते नहीं और सबके साथ – साथ उनकी पढ़ाई आराम से हो भी जाती है। स्मार्ट स्कूलों के काफ़ी कोशिशों के बावजूद भी यह स्वाभाविकता ऑनलाइन कक्षाओं में कम ही आ पाती है। ऑनलाइन कक्षाओं में कुछ बच्चे अपने आप को बिलकुल ही अकेला महसूस करते हैं, और कई बार उनमें पढ़ने का आत्मविश्वास नहीं आ पाता। कई बार छोटी – छोटी ग़लतियों से भी वो हतोत्साहित हो जाते हैं। इससे बचने के लिए उनकी किसी भी उपलब्धि को सराहें और निरंतर उनका आत्मविश्वास बढ़ाते रहें। हर हफ़्ते आप बच्चों को खुद ही एक सर्टिफ़िकेट बना कर दें या कोई छोटा सा पुरस्कार ही दे दें। 

निष्कर्ष में, हम यह कह सकते हैं कि  हमारे बच्चों को इन नयी ऑनलाइन कक्षाओं में स्वाभाविक होने में समय लगेगा। जब तक बच्चे इस नयी पद्धति में ढल न जाएँ, उस समय तक बतौर अभिभावक हमारी ये ज़िम्मेदारी है कि हम उनकी यथासंभव सहायता करें और उनका आत्मविश्वास कम ना होने दें। इसके लिए अभिभावकों को शिक्षकों के साथ मिल कर एक कुशल टीम की तरह काम करना होगा। शिक्षकों और अभिभावको की इसी साझा जुगलबंदी से बच्चे निश्चित ही इस कठिन समय को हंसते – खेलते पार कर लेंगे।

वर्तमान महामारी बच्चों की शिक्षा के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन कर उभरी है, और इस का सामना करने के लिए LEAD आपकी मदद के लिए आगे आया है। LEAD ने स्कूली पाठ्यक्रम को समझने में आसान बना दिया है, यहाँ तक कि माता-पिता भी अपने बच्चे की पढ़ाई की यात्रा का हिस्सा बन सकते हैं। LEAD School Student & Parent App की मदद से, छात्र प्रतिदिन लाइव कक्षाओं में भाग ले सकते हैं, प्रश्नोत्तरी का प्रयास कर सकते हैं, रियल-टाइम में शंकाओं के बारे में पूछ सकते हैं। डिजिटल लर्निंग कंटेंट, फिजिकल रीडर और वर्कबुक, लर्निंग एक्टिविटीज, ई-बुक्स, नियमित मूल्यांकन, पर्सनलाइज्ड रिवीजन, गृह अभ्यास, शंकाओं का स्पष्टीकरण और राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं LEAD की अन्य अनूठी विशेषताएं हैं।

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About the author

Manasa is a Branding and Communication Manager at LEAD. She is an Asian College of Journalism alumnus and a former Teach for India Fellow. Manasa has also completed her MBA in marketing from Deakin University. She strongly believes that education has the power to shake the world and is excited to be a part of LEAD’s transformational journey.

Manasa Ramakrishnan

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