Home »  Blog » Parents »  स्कूल चैंपियनशिप्स किस तरह से शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनती हैं?

स्कूल चैंपियनशिप्स किस तरह से शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनती हैं?

पढ़ाई ऐसी जो काम की हो! बारीकियों की समझ के लिए व्यवहारिक शिक्षा

एक बुद्धिमान और समझदार पीढ़ी के बच्चों को पढ़ाते हुए और नेशनल टेस्ट स्कोर्स को बढ़ाने के दबाव का सामना करते हुए देश के स्कूल धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। अपने करिकुलम को समझने के लिए बच्चे लगातार बेहतर तरीके तलाश रहे हैं। उनकी इसी ज़रूरत को समझते हुए अब स्कूल भी लचीला रवैया अपनाकर बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

सालों से स्कूलों ने तथ्यों को सीखने और अप्रासंगिक विषयों को पढ़ने पर ज़ोर दिया है। लेकिन आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में बच्चों को कामयाब बनाने के लिए यह तरीका काफी नहीं है। बच्चों को फंडामेंटल स्किल्स (पढ़ना, लिखना और गणित) के साथ इक्कीसवीं सदी की स्किल्स (नेटवर्क, प्रॉब्लम सॉलविंग. प्रैक्टिकल ऐप्लिकेशन) जैसे कौशल के साथ अच्छी तरह तैयार होना होगा।

व्यवहारिक शिक्षा केवल उच्च शिक्षा तक सीमित नहीं

आज के युग में उच्च शिक्षा का सबसे बड़ा पहलू है उसकी ‘‘व्यावहारिकता’’। जब भी हम किसी बड़ी और प्रसिद्ध युनिवर्सिटी का विज्ञापन देखते हैं तो ज्यादतर एक्सपीरियंशियल लर्निंग ही उनकी टैगलाइन होती है।

आज की शिक्षा की सबसे बड़ी खूबी है बच्चों के ज्ञान और समझ को व्यावहारिकता रूप में इस्तेमाल करने का मौका देना। लेकिन अब तक यह चीज केवल उच्च शिक्षा तक सीमित रही है। स्कूली बच्चों को शायद ही कभी ऐसा मौका मिलता है जहां वे किसी विषय में अपने ज्ञान को व्यावहारिक इस्तेमाल में लाकर दिखा सकें।

वक्त के साथ बदल रहे हैं स्कूल!

ऐसे बहुत से तरीके हैं जिन्हें अपनाकर स्कूल अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत बदलाव किए बिना या बहुत ज्यादा पैसे खर्च किए बिना भी, विद्यार्थियों को एक्सपीरिएंशियल लर्निंग का मौका दे सकते हैं। स्कूल, अपने करिकुलम और टेक्नोलॉजी की मदद से क्लासरूम में एक्सपीरियंशियल लर्निंग करवाते हैं। लेकिन स्कूली प्रतियोगिताएं और चैंपियनशिप्स, एक बड़े स्तर पर – दर्शकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही बच्चों को दूसरों के सामने अपनी समझ का प्रदर्शन करने का मौका देते हैं। साथ ही उन्हें दूसरे बच्चों की समझ को भी देखने का मौका मिलता है।

कैनेडियन सेन्टर फॉर साइंस एजुकेशन की एक रिसर्च के मुताबिक व्यावहारिक शिक्षा का तरीका बच्चों की शैक्षिक उपलब्धियों और साइंटिफिक कंसेप्ट्स की समझ को बढ़ावा देने का एक अच्छा ज़रिया है। इससे किसी खास चीज़ के बारे में बच्चों की समझ मज़बूत और स्पष्ट होती है। व्यावहारिक शिक्षा की मदद से बच्चे रियल लाइफ इलस्ट्रेशन्स से जुड़ रहे हैं और अलग-अलग पहलुओं में बदलाव के परिणाम को बारीकी से देख और समझ पा रहे हैं। इसके तहत कॉन्सेप्ट्स को अच्छी तरह से दिखाकर समझाया जाता है। यह तरीका बच्चों पर केंद्रित होता है, जहां सीखने वाला इसे देख सकता है, छू सकता है और अपने मुताबिक ढाल सकता है। जहां गणित सुनने से ज्यादा देखने और करने का नाम है, वहीं विज्ञान के मामले में भी यही बात लागू होती है। इसे खुद करके ही समझा जा सकता है।

इससे क्लास लेक्चर्स ज्यादा प्रासंगिक बनते हैं और बच्चे प्रैक्टिकल ऐप्लिकेशन के साथ चीज़ें बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। प्रतियोगिता और चैंपियनशिप्स जैसी चीज़ें बच्चों को आत्मनिर्भर, गहराई से सोचने और जीवन भर सीखते रहने के लिए प्रेरित करते हैं।

स्कूली प्रतियोगिताओं के अन्य फायदे  

अलग-अलग स्तर की चैंपियनशिप्स और प्रतियोगिताएं बच्चों को अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करती हैं। स्वस्थ्य प्रतियोगिता बच्चों के बेहतरीन प्रदर्शन को बाहर लाने में कारगर है। वे जीतें या न जीतें, इससे उनमें कुछ ऐसे गुण विकसित होते हैं, जो पूरे जीवन उनके काम आते हैं। उदाहरण के लिए:

  • खेल भावना:

प्रतियोगिताएं बच्चों में न्याय, आत्मसंयम, हौसला और दृढ़ता जैसे गुणों का विकास करती हैं। साथ ही वे खुद पर नियंत्रण रखना और इमानदार प्रतिस्पर्धा का महत्व भी समझते हैं। कुल मिलाकर उन्हें यह बात समझ आती है कि मुकाबले को जीतना ही सबकुछ नहीं बल्कि उसमें हिस्सा लेना और जुटे रहना भी अहम है।

  • तनाव से मुकाबला:

इस दौरान विद्यार्थियों को कई राउंड्स से गुज़रकर, देश की सबसे बेहतरीन प्रतिभाओं के साथ मुकाबला करना होता है, ऐसे में कई बार वे तनाव महसूस करते हैं। प्रतिस्पार्धाओं से बच्चे छोटी उम्र से ही तनाव से मुकाबला करने के तरीके सीख जाते हैं। और यह चीज़ जीवन भर उनके काम आती है।

  • दूसरों से सीखना :

प्रतियोगिताएं एक ऐसा मंच होती हैं जहां बच्चों को देश के अलग-अलग राज्यों और स्कूलों के बच्चों के संपर्क में आने का मौका मिलता है। साथ ही विद्यार्थियों को दूसरे बच्चों की परफॉर्मेंस देख कर उससे नई चीज़ें सीखने का भी मौका मिलता है।

स्कूलों को प्रतियोगिताएं और चैंपियशिप्स ज़रूर आयोजित करनी चाहिए। हम ऐसे दौर में हैं, जहां इन चीज़ों की ज़रूरत है। चूंकि भारत सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में ऐसे बदलाव करने की ठानी है, जिनका लंबे समय से इंतज़ार है, ऐसे में स्कूलों को भी अपनी तरफ से प्रतियोगिताओं और चैंपियनशिप्स के ज़रिए समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में योगदान ज़रूर देना चाहिए।

Inline-Images-LEAD-Championship--Amended (1)LEAD SCHOOL CHAMPIONSHIPS, बच्चों की खूबियों को बाहर लाता है!

LEAD School, अपनी अलग पेशकश के साथ स्कूलों और बच्चों की बारीक ज़रूरतों का ख्याल रखता है। LEAD School भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने को प्रतिबद्ध है। साथ ही हम बच्चों की शिक्षा को और ज्यादा दिलचस्प बनाने का वादा करते हैं। LEAD चैंपियनशिप्स राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का एक समूह है, जो विद्यार्थियों को देश भर के बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच उपलब्ध कराता है। प्रतियोगिताओं के अलावा यह मंच जाने माने एक्सपर्ट्स और मास्टर क्लासेस के ज़रिए प्रतियोगियों को सीखने का शानदार अनुभव भी देता है।

LEAD Championships 2020 को नेशनल इंगलिश चैंपियनशिप और नेशनल साइंस चैंपियनशिप जैसे दो भागों में बांटा गया है। यह प्रतियोगिता पूरी तरह ऑनलाइन होगी। इसे नवंबर और दिसंबर के बीच चार चरणों में आयोजित किया जाएगा। LEAD पार्टनर स्कूलों के कक्षा 3 से कक्षा 8 तक में पढ़ने वाले सभी बच्चे इनमें भाग ले सकते हैं।

नेशनल इंग्लिश चैंपियनशिप में बच्चों को स्पीकिंग, रीडिंग, और लिसनिंग कॉम्प्रिहेन्शन स्किल्स का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। इसे तीन भागों में बांटा गया है:

  • स्टोरी टेलिंग: यह एक रचनात्मक प्रक्रिया है, जिसमें बच्चों को अपनी कहानी खुद बनाकर सुनानी होगी। इसमें बच्चे आवाज़ और हाव-भाव का उपयोग करके कहानी सुनाना सीखते हैं।
  • इलोक्यूशन:यह सार्वजनिक रूप से बोलने, भाषण या व्याख्यान देने की कला है। इसके ज़रिए बच्चे अपने विषय को, अपने जीवन और अपने आस-पास की दुनिया से जोड़ना सीखते हैं। साथ ही वे जानकारी या सूचना को इकट्ठा करके उसे पूरे आत्मविश्वास के साथ दुनिया तक पहुंचाना सीखते हैं।
  • वोकैबबी (Vocab Bee): यह एक सामूहिक वोकेबलरी कॉम्पिटिशन है। इसमें विद्यार्थियों की पढ़ने, सुनने और समझने की क्षमता का आंकलन किया जाता है।

नेशनल साइंस चैंपियनशिप विद्यार्थियों के लिए अपनी विज्ञान की समझ के प्रदर्शन का मौका है। इसे दो भागों में बांटा गया है:

  • साइंस प्रोजेक्ट – यहां विद्यार्थियों को ऐसा साइंस प्रोजेक्ट बनाना होगा, जो असल दुनिया से संबद्ध हो। यहां बच्चों को वैज्ञानिक तरीकों से किसी समस्या का हल खोजना होगा।
  • साइंस बी: यह एक सामूहिक साइंस क्विज़ प्रतियोगिता है। इसमें बच्चों के विभिन्न वैज्ञानिक कंसेप्ट्स के ज्ञान का आंकलन किया जाता है।

विद्यार्थियों की अलग-अलग दिलचस्पियों को ध्यान में रखते हुए, LEAD Championships 2020 का लक्ष्य है उन्हें एक ऐसा मंच उपलब्ध करवाना जहां वे अपने कौशल का राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर सकें।

LEAD Championships 2020 के बारे में और जानकारी के लिए यहां क्लिक करें!

About the author

Manasa is a Branding and Communication Manager at LEAD. She is an Asian College of Journalism alumnus and a former Teach for India Fellow. Manasa has also completed her MBA in marketing from Deakin University. She strongly believes that education has the power to shake the world and is excited to be a part of LEAD’s transformational journey.

Manasa Ramakrishnan

student management system

How student management system helps with online classes?

It is said that major world events often make a way for discoveries and innovations. This time, a pandemic altered how the education sector across the globe functioned for years. As schools shifted on

Read More

18/09/2024 
Manasa Ramakrishnan  |  Parents

online classes

Online classes & NEP together replace old learning methods

Why the Indian Education system needed a revamp We are right in the middle of a global crisis.

Read More

02/01/2023 
Manasa Ramakrishnan  |  School Owner

Smart classes simplify homeschooling during COVID-19

LEAD School is currently offering LEAD School@Home for all its partner schools parents. Children can now attend live classes daily, attempt quizzes, ask doubts, without any hassle.

To mitigate the

Read More

22/12/2022 
Manasa Ramakrishnan  |  School Owner

With eLearning’s advent, are kids ready for smart schools

This year, the delivery model of education that largely remained unchanged for centuries has suddenly been disrupted owing to the ongoing crisis and according to some experts, this could be a permanen

Read More

21/12/2022 
Manasa Ramakrishnan  |  School Owner

x

Give Your School The Lead Advantage

lead
x
Planning to reopen
your school?
Chat With Us Enquire Now
whatsapp
x

Give Your School The Lead Advantage

x

Download the EBook

x

Download the NEP
Ebook

x

Give Your School The Lead Advantage