डिजिटल दुनिया को बदलने में कैसे मददगार है हाइब्रिड लर्निंग
Give Your School The Lead Advantage
इस वक्त हमारी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है। डोनाल्ड ट्रम्प ने खुद को “वॉरटाइम प्रेसिडेंट” कहा, तो वहीं फ्रांस के राष्टपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा कि फ्रांस कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहा है। आमतौर पर कोई भी महामारी, विश्वयुद्ध और आर्थिक संकट दुनिया को हमेशा के लिए बदल कर रख देते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना वायरस संकट ने भी नौकरियों, अर्थव्यवस्थाओं और शिक्षा क्षेत्र में ऐसी उथल-पुथल मचाई है, जो पहले कभी नहीं देखी गई।
आज हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह संकट के दौर से गुज़र रही है, लेकिन हमारे सामने इस महामारी का सामना करने के अलावा कोई और विकल्प भी तो नहीं है।
स्कूलों ने कैसे किया इस संकट का सामना…
लॉकडाउन के तुरंत बाद बच्चों की पढ़ाई को दोबारा शुरु करने के लिए स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा देने की शुरुआत की। चार-दीवारों के बीच चलने वाली पारंपरिक क्लास की जगह ले ली रिमोट लर्निंग ने और विद्यार्थी अपने आप ही सब कुछ करने को मजबूर हो गए। एजुकेशन सेक्टर को यह अच्छी तरह पता था कि अगर वक्त रहते सावधानी न बरती गई तो यह अदृश्य दुश्मन कितनी तबाही मचा सकता है। कॉलेजों और युनिवर्सिटी में डिस्टेंस एजुकेशन का ट्रेंड हमेशा से रहा है, लेकिन स्कूलों के लिए यह बदलाव कहीं ज्यादा बड़ा था। एजुकेशन पॉलिसी बनाने वालों और इस क्षेत्र के एक्सपर्ट्स को जल्दी ही ऑनलाइन एजुकेशन में कमियों का एहसास होने लगा। पारंपरिक क्लासरूम और ऑनलाइन लर्निंग के बीच के अंतर को भरने के लिए किसी उपाय की ज़रूरत महसूस होने लगी।
खास तौर पर भारत जैसे देश में, शिक्षा क्षेत्र के बारे में एक कड़वा सच यह है कि अन्य किसी क्षेत्र के मुकाबले, शिक्षा क्षेत्र को समय के साथ चलना सीखना होगा। केवल ऑनलाइन पढ़ाई करा देना ही काफी नहीं है। जो भी स्कूल बदलाव लाना चाहते हैं, सबसे पहले उन्हें ही बदलाव को स्वीकार करना होगा। अपनी चुपचाप बैठे रहने की आदत छोड़नी होगी और शिक्षा को लेकर एक नया दृष्टिकोण अपनाना होगा। सिर्फ रटने और किताबी प्रक्रिया को छोड़कर आधुनिक तरीके अपनाने होंगे।
अच्छी पढ़ाई और रिज़ल्ट के लिए स्कूल केवल ऑनलाइन क्लासेस पर निर्भर नहीं रह सकते
युनेस्को का कहना है कि “यह शिक्षा के बारे में नए सिरे से सोचने का एक अच्छा मौका है क्योंकि लोगों में बिना किसी योजना के, अचानक से बड़ी संख्या में घरों में पढ़ने का सिलसिला शुरु हो चुका है। हमें लर्निंग कॉन्टेन्ट, इसके तरीकों और पढ़ाई करने के स्थानों पर फिर से विचार करना होगा। हालांकि हमें ब्लेंडेड लर्निंग को और बेहतर तरीके से अपनाने की ज़रूरत है, लेकिन इसके साथ ही हमें पढ़ाई के तरीकों पर भी पुनर्विचार करना चाहिए ताकि व्यक्तिगत पढ़ाई और सामूहिक पढ़ाई के बीच एक बेहतर संतुलन बनाया जा सके। यह पूरी लर्निंग कम्युनिटी को बदलने का एक अनोखा मौका है, जहां पढ़ाई की उन जगहों की बेहतर तरीके से नेटवर्किंग की जानी चाहिए जो क्लासरूम और स्कूल में होने वाली पढ़ाई को घर, परिवार और समाज से जोड़ती हैं।”
डिजिटल दुनिया में कैसे बदलाव ला सकते हैं स्कूल?
स्कूलों में हाइब्रिड मॉडल का अब तक का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इससे शिक्षा क्षेत्र की मुश्किल आसान होने के साथ ही रिमोट लर्निंग की कमियों को भी दूर करने में मदद मिली।
इस बदलाव को स्थायी बनाने के लिए स्कूलों ने नए लर्निंग मॉडल्स में सुधार, उनका आंकलन और विस्तार करना शुरू कर दिया है। कई स्कूलों ने अपने स्टूडेंट्स के हित को ध्यान में रख कर इंटीग्रेटेड स्कूल सिस्टम अपना लिया। इससे एडमिनिस्ट्रेशन, फीस कलेक्शन, अटेंडेंस, नए एडमिशन आदि प्रक्रियाएं काफी सहज और आसान बन गईं। इंटीग्रेटेड स्कूल सिस्टम्स ने शांत स्वभाव के स्टूडेंट्स, रिज़ल्ट्स में अनिश्चितताओं, अलग-अलग पाठ्यक्रम, और ओल्ड स्कूल लर्निंग जैसी होम स्कूलिंग की कमियों से उबरने में मदद की।
इस महामारी ने यह बात साबित कर दी है कि शिक्षा का परंपरागत तरीका अब बेकार है और किसी काम का नहीं। खासकर इस दौर में जिसमें हम सभी फिलहाल जी रहे हैं। साथ ही हमारा पारंपरिक तरीका आधुनिक शिक्षा की ज़रूरतों को भी पूरा कर पाने में सक्षम नहीं है। ऐसे में स्कूल इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म्स, जो हाइब्रिड लर्निंग का विकल्प देते हैं, वहां शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे ऑनलाइन क्लास के दौरान आने वाली परेशानियों का सामना कर सकें।
इंटीग्रेटेड स्कूल सिस्टम्स, वर्ल्ड क्लास करिकुलम के अलावा यह भी सुनिश्चित करते हैं कि टीचरों को बेहतर ट्रेनिंग मिले ताकि वे ऑनलाइन लर्निंग के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें।
कोविड-19 ने रटने और याद करने वाली शिक्षा के पारंपरिक तरीके को बदलकर उसे ज्यादा डिजिटाइज़्ड और स्टूडेंट्स केंद्रित बनने की दिशा में आगे बढ़ाने का काम किया है।
डिजिटल शिक्षा की कमियों को कैसे दूर कर रहा है LEAD School?
LEAD School का व्यापक करिकुलम; इंटीग्रेटेड सिस्टम आधारित पढ़ाई; इन-टाइम परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग और गारंटीड रिज़ल्ट इस मुश्किल समय में काफी राहत देने वाला है। LEAD School बेहतरीन टीचिंग स्टैंडर्ड को बरकरार रखते हुए ऑनलाइन, ऑफलाइन या हाइब्रिड तरीके से पढ़ाई जारी रखने में मदद करता है। डिजिटल लर्निंग कॉन्टेन्ट, फिज़िकल रीडर और वर्कबुक, लर्निंग एक्टिविटीज़, ई-बुक्स, रेगुलर असेसमेंट और प्रैक्टिस क्विज़, पर्सनलाइज़्ड रिवीज़न, होम प्रैक्टिस और लाइव क्लासेस की मदद से LEAD School ने ऑनलाइन पढ़ाई के कॉन्सेप्ट को एक नया रूप दे दिया है।
LEAD के ऑनलाइन स्कूल 9 ऐसे सैद्धांतिक चेकलिस्ट के आधार पर काम करते हैं जिनकी मदद से यह स्कूल डिजिटल दुनिया में बदलाव ला रहा है। LEAD School की कुछ प्रमुख सुविधाएं:
खराब क्वालिटी की ऑनलाइन टीचिंग का डर और ऑनलाइन पोर्टल्स के इस्तेमाल में टीचर्स की झिझक अब गुज़रे ज़माने की बात है। अब टीचर्स काफी कॉन्फिडेंट हो चुके हैं और वे ऑनलाइन लर्निंग की चुनौतियों के बीच अपना रास्ता बना पाने में सक्षम हैं।
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