भाषा-कौशल के विकास में LEAD के ‘संपूर्ण हिंदी’ कार्यक्रम की भूमिका
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आजकल हिंदी भाषा सीखने वाले अधिकांश विद्यार्थी, हिंदी परीक्षाओं में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं जितना वे अन्य विषयों में करते हैं। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषा को अन्य विषयों की तुलना में प्राथमिकता भी नहीं देते हैं।
भारतीय स्कूलों में कई वर्षों से हिंदी को एक परीक्षा-केंद्रित विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है जिसके कारण विद्यार्थियों में हिंदी भाषा कौशल का विकास नहीं हो रहा है और परिणामस्वरूप उन्हें अपने विचारों को हिंदी में व्यक्त करना कठिन लगता है।
इससे उनके आत्मविश्वास पर भी असर पड़ता है और जब भाषा सीखने की बात आती है तो उनके मन में डर पैदा हो जाता है। कुछ विद्यार्थियों को हिंदी भाषा उबाऊ भी लगने लगती है और इसमें उनकी रुचि पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
हिंदी भाषा सीखते समय विद्यार्थियों को मुख्य रूप से तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- उच्चारण – अधिकांश विद्यार्थियों के सामने सबसे पहली और बड़ी चुनौती होती है – भाषा का ठीक उच्चारण करना। जब भाषा को ठीक से बोला नहीं जाता तो सही लिखा भी नहीं जा सकता क्योंकि विद्यार्थी मात्राओं का सही प्रयोग नहीं कर पाते हैं इसलिए वह गलत बोलते और लिखते हैं। इसके अतिरिक्त एक जैसी ध्वनि उत्पन्न करने वाले वर्णों के सही उच्चारण को न समझ पाना भी, सही उच्चारण नहीं कर पाने का एक मुख्य कारण है।
- समझ एवं अभिव्यक्ति – विद्यार्थियों के भाषा कौशल के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके कारण उनमें बोध क्षमता और गहन विचारात्मकता का अभाव होता है। इस कारण विद्यार्थियों को विचारों की अभिव्यक्ति में कठिनाई होती है इसलिए वे रटने का सहारा लेते हैं और केवल परीक्षा की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यदि कोई विद्यार्थी किसी अवधारणा को सीखने और उसे पूरी तरह से समझने और उसे अपने जीवन से जोड़ने में असमर्थ है, तो इस प्रकार की स्कूली शिक्षा को पूर्ण नहीं कहा जा सकता है।
- स्थानीय भाषा का प्रभाव- भारत विविधताओं का देश है और हिंदी भी अन्य राष्ट्रीय भाषाओं में से एक है। यह देश भर में व्यापक रूप से बोली जाती है, हालांकि, स्थानीय भाषाओं का प्रभाव इसमें देखा जा सकता है। भारत के दक्षिणी भाग में, हिंदी सामान्य रूप से बोली नहीं जाती है। हिंदी भाषा को स्कूलों में एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है जिसके कारण इसका ज्ञान केवल सामान्य संप्रेषण करने तक सीमित रह जाता है। विद्यार्थी भाषा को गहन रूप से समझ नहीं पाते और उचित अभिव्यक्ति नहीं कर पाते हैं।
हिंदी भाषा हमारी स्कूली शिक्षा प्रणाली का एक मुख्य हिस्सा है और न केवल भारत अपितु विश्व में अपना व्यापक स्थान बनाती जा रही है इसलिए न केवल हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है, बल्कि देश भर के स्कूलों में इसे पढ़ाए जाने के तरीके पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
इन्हीं कारणों से LEAD ने सभी LEAD संचालित स्कूलों में हिंदी भाषा को सिखाने और पढ़ाने के तरीके में क्रांति लाने के लिए 2020 में ‘संपूर्ण हिंदी’ कार्यक्रम शुरू किया। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए हिंदी भाषा के सीखने की प्रक्रिया को अधिक मनोरंजक और व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
LEAD का ‘संपूर्ण हिंदी’ कार्यक्रम इन चार प्रमुख घटकों पर आधारित है-
- भाषा कौशल-विकास दृष्टिकोण– भाषा सीखने और सिखाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य को लेकर, भाषा कौशल-विकास दृष्टिकोण के आधार पर ‘संपूर्ण हिंदी’ कार्यक्रम तैयार किया है।
- समेकित शैक्षिक – कार्यक्रम – भाषा-कौशल को विकसित करने के क्रम में नैतिक मूल्यों और सामान्य ज्ञान के आधार पर सामान्य जागरूकता के भाव को भी विकसित किया गया है जिससे विद्यार्थियों में शैक्षिक प्रदर्शन के साथ-साथ सामाजिक और व्यावहारिक कौशल का भी विकास हो सके।
- सर्वांगीण विकास – ‘संपूर्ण हिंदी’ पाठ्यक्रम LEAD के सिद्धांतों ‘समझकर सीखो, गहराई से सोचो, अच्छा करो और उत्तम बनो’ पर आधारित है जो विद्यार्थियों के दृढ़ चरित्र और मूल्यों के साथ व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है।
- पाठ्यक्रम की अद्वितीय रूपरेखा – अन्य विषयों से भिन्न, भाषा के पाठ्यक्रम को बहुत अलग तरीके से तैयार किया जाना चाहिए। ‘संपूर्ण हिंदी’ पाठ्यक्रम की रूपरेखा 5C के सिद्धांतों से प्रेरित है, जो अद्वितीय हैं-
- जीवन से जुड़ाव (Connection to life) – LEAD पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में इस समझ को विकसित करता है कि वे पाठों को अपने जीवन के साथ कैसे जोड़ सकते हैं।
- पूर्वज्ञान से जुड़ाव (Connection to prior learning) – हिंदी पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने से पहले, इस बात का ध्यान रखा गया है कि विद्यार्थी पिछली पढ़ाई गई अवधारणाओं और नई अवधारणाओं के बीच समंवय स्थापित कर सके।
- समावेशी शिक्षण (Catering to different learners) – विद्यार्थी अलग-अलग तरीकों से सीखते हैं इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी के सीखने की शैली की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। हिंदी भाषा की शैक्षणिक योजना में पढ़ने, लिखने, बोलने और सुनने की गतिविधियों के साथ-साथ ऑडियो, वीडियो को भी शामिल किया गया है।
- संकेंद्रित शिक्षण (Concentric learning) – प्रत्येक विद्यार्थी की समझ को सुनिश्चित करने के लिए संकेंद्रित दृष्टिकोण का अनुसरण किया जाता है। प्रत्येक शिक्षण-दिन योजना में शिक्षक नेतृत्व, सामूहिक गतिविधि और एकल गतिविधि शामिल होती है ताकि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया सुचारू रूप से हो।
- संदर्भगत शिक्षण (Contextualization of learning) – सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के दौरान हम जानकारी को इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि विद्यार्थी अपने स्वयं के अनुभवों और परिवेश के आधार पर अर्थ का निर्माण करके, विषय के संदर्भ को सहजता से समझ सके।
भाषा को सीखने और सिखाने का आधार, उसे सुनकर समझने और बोलकर पढ़ने का प्रयास करने और पढ़कर समझने के बाद लिखकर अभिव्यक्त करने की प्रक्रिया होती है। संपूर्ण हिंदी पाठ्यक्रम उसी प्रक्रिया को व्यवहार में लाने का एक प्रयास है जो निश्चित रूप से विद्यार्थियों को भाषा के प्रति सजग बनाएगा और उनके मन में हिंदी भाषा को सीखने के प्रति रुचि को बढ़ावा देगा। इसी शुभकामना के साथ LEAD का ‘संपूर्ण हिंदी’ कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में भाषा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए विद्यार्थियों के विकास की ओर अग्रसर है।
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