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बच्चों के लिए क्यों जरूरी है कोडिंग सीखना?

यदि आप अपने बच्चे को एक उज्ज्वल कैरियर के लिए तैयार करना चाहते हैं, तो आपको उन्हें स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले पारंपरिक विषयों से परे ले जाने के बारे में सोचना चाहिए। गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय आपके बच्चे की शिक्षा की बुनियादी नींव बन सकते हैं, परंतु उन्हें भविष्य के लिए तैयार होने में मदद करने के लिए कोडिंग (coding) जैसे समकालीन विषयों से अवगत कराना महत्वपूर्ण है।

उदाहरण के लिए, यदि एक बच्चा भौतिकी का अध्ययन करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) में एक वैज्ञानिक बनना चाहता है, तो केवल भौतिकी का ज्ञान ही उसके लिए पर्याप्त नहीं होगा, शोध के लिए वैज्ञानिकों को बहुत सारे सॉफ्टवेयर पैकेजों को इस्तेमाल करने की आवश्यकता पड़ती है जिसके लिए बुनियादी कोडिंग कौशल की आवश्यकता होती है। आज चीज़ें इतनी बदल चुकी हैं कि आजकल की अच्छी नौकरियों, जैसे कि डेटा एनालिस्ट (data analyst), के लिए न्यूनतम योग्यता मापदंड SQL जैसे बुनियादी कोडिंग कौशल हैं।

कम उम्र में अपने बच्चे को ‘कोडिंग और कम्प्यूटेशनल स्किल्स’ (Coding and Computational Skills) से परिचित कराने के कई फायदे हैं। इस लेख में हम आपको शीर्ष 3 कारण बताएँगे कि क्यों अपने बच्चे को कोडिंग से अवगत कराने पर आपको गंभीर विचार करना चाहिए।

  • कोडिंग एक समस्या-समाधान दृष्टिकोण सिखाता है:

किसी समस्या को देखते ही एक कोडर को उस समस्या का समाधान करने के लिए तार्किक सोच की आवश्यकता होती है। नई समस्याओं के समाधान करने के लिए केवल कोड लिखने से कहीं ज्यादा एक संरचित और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

उदाहरण के लिए, जब भारत में कोविड की स्थिति पैदा हुई, तो भारत सरकार को करोड़ों लोगों के टीकाकरण की व्यवस्था करनी पड़ी। लोगों को बुकिंग की सुविधा इस तरह उपलब्ध कराने की जरूरत थी कि यह कार्य न्यूनतम मानवीय संपर्क के साथ किया जा सके। जब कोडर्स के टीम को समस्या का विवरण प्राप्त हुआ होगा, तो यह बहुत अस्पष्ट रूप में रहा होगा। अब इन कोडर्स का काम था कि वे अपने कोडिंग कौशल का उपयोग करके उस समस्या को टेक्नोलॉजी के द्वारा हल करने के बारे में शोध करें और सोचें। उन्हें नेटवर्क की समस्या, स्मार्टफोन की सीमित उपलब्धता, धोखाधड़ी वाली बुकिंग की संभावना, इत्यादि विभिन्न समस्याओं का भी ध्यान रखना पड़ा होगा । यह एक बहुत ही हालिया और वास्तविक जीवन से लिया गया उदाहरण है जो दर्शाता है कि कैसे कोडिंग में बहुत सोच-विचार शामिल होता है। यदि आपका बच्चा कम उम्र से ही कोडिंग करना सीख जाता है तो उसके लिए कॉलेज जाने पर इसमें और परिपक्व बनना काफी आसान होगा।

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  • कोडिंग धैर्य बढ़ाता है:

एक व्यावहारिक कोड के विकास के लिए एक लम्बे कालखंड की आवश्यकता होती है। यहां तक ​​​​कि गूगल पे (Google Pay) जैसा साधारण दिखने वाले ऐप के विकास के पीछे कई लोगों का समूह शामिल है। ऐसे ऐप्स के विकास की प्रक्रिया भी बहुत सीधी नहीं है। ऐप का अंतिम प्रारूप उसके पहले दिन के प्रारूप से काफी अलग होता है। हर दिन कुछ नई त्रुटियां मिल सकती हैं जिन्हें सुधारने के लिए बहुत काम करना पड़ सकता है। बहुत सारे लोग इस बात पर भी काम कर रहे हैं कि ऐप अपने उपयोगकर्ताओं को कैसा दिखाई देता है। ऐप के रूप-रेखा (डिजाइन) के ज़्यादातर पहलुओं में भी कोडिंग शामिल है। इस तरह की लंबी अवधि की प्रक्रिया में काम करने के बाद, कोड करने वाले लोगों में लगातार चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित होती हैं और लगातार आगे बढ़ते रहने की आदत पड़ती है । धैर्य की यह क्षमता इतनी सामान्य नहीं है और आज के रोज़गार बाजारों में इसकी बहुत अधिक मांग है। जब आपका बच्चा कम उम्र से ही कोड करना सीखेगा, तो उसमें बाधाओं का सामना करते हुए भी सही परिणामों की तलाश में आगे बढ़ते रहने की क्षमता का विकास होगा।

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  • कोडिंग रचनात्मकता का विस्तार करता है:

कोडिंग बच्चों को लीक से हटकर सोचना सिखाता है। जब बच्चे कम उम्र में कोडिंग सीखते हैं, तो उनमें अधिकांश लोगों की तुलना में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को पहचान करने की क्षमता विकसित होती है। अपने आस-पास की समस्याओं को केवल वयस्कों की परेशानी समझने के बजाय, ये बच्चे इन समस्याओं को हल करने के लिए कोडिंग का इस्तेमाल करने के तरीकों के बारे में सोचते हैं। यदि आप इंटरनेट पर देखेंगे, तो आप बच्चों द्वारा बनाये बहुत सारे कोडिंग प्रोजेक्ट देख पाएंगे। इनमें से ज़्यादातर प्रोजेक्टों का उद्देश्य आसपास के लोगों के लिए वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करना है।

उदाहरण के लिए निम्नलिखित समस्याओं के समाधान के लिए आपको इंटरनेट पर बच्चों द्वारा किए गए प्रोजेक्ट मिल जायेंगे :

  1. एक स्कूल के पुस्तकालय में पुस्तकों को सूचीबद्ध करने के लिए एक ऐप
  2. छात्रों के लिए एक चर्चा मंच बनाने के लिए एक ऐप
  3. बुज़ुर्ग लोगों के दवा सेवन की नियमितता को देखते रहने के लिए एक ऐप

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यदि आपका बच्चा अब तक कोडिंग की दुनिया से रूबरू नहीं हो पाया है, तो चिंता न करें। कोडिंग सीखना किसी भी उम्र में शुरू किया जा सकता है । जब भी आप अपने बच्चे को कोडिंग सीखना शुरू करें, याद रखें कि कोडिंग भाषाएं केवल कोडिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण हैं। अपने बच्चे को ढेर सारी कोडिंग भाषाएं सीखाने के बजाय, उन्हें कोडिंग से जो तार्किक सोच पनपती है, उसे विकसित करने में मदद करें।

आपको इंटरनेट पर बहुत सारे निःशुल्क संसाधन मिलेंगे जो आपके बच्चे को कोडिंग सीखने में मदद कर सकते हैं। यदि आप अधिक संरचित दृष्टिकोण की तलाश कर रहे हैं, तो आपको इस विषय को अपने बच्चे के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार करने के लिए स्कूल से बात करनी चाहिए। LEAD संचालित स्कूलों में कोडिंग और कम्प्यूटेशनल स्किल्स (CCS) प्रोग्राम एक उत्कृष्ट पाठ्यक्रम और सुलभ तकनीक के साथ ‘उपयोग, विचार, निर्माण (USE, THINK, BUILD)’ के दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। इस पद्धति के साथ, छात्र सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का व्यावहारिक उपयोग करते हैं, जिससे उनमें तार्किक सोच का सृजन होता है और अंत में ये बच्चे खुद ही वेबसाइट, गेम, ऐप इत्यादि बना पाते हैं।

LEAD का कोडिंग प्रोग्राम इतना अनूठा क्यों है?

  • प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बजट के अनुकूल मूल्य
  • LEAD विशेषज्ञों द्वारा शिक्षक सशक्त और कुशल होते हैं
  • ऑडियो, वीडियो और रोमांचक परियोजनाओं के माध्यम से सीखाया जाना 
  • छात्रों की कठिनाइयों को हल करने और वैचारिक स्पष्टता के लिए उपचारात्मक सत्र

LEAD बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद कर रहा है। अपने बच्चे का LEAD संचालित स्कूल में नामांकन कराने के लिएः अभी एडमिशन फॉर्म भरें

About the author

Prajakta is a Content Marketing Manager at LEAD. She is an IIT Kanpur alumnus and has extensive experience in the ed-tech domain. She believes education is the premise of progress, for an individual, for a family, and for society.

Prajakta Sakpal

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