३ भाषाओं की नीति
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय भाषाओं जैसे मातृभाषा या स्थानीय भाषा को कक्षा 5 तक पढ़ाई का माध्यम बनाने पर विशेष बल दिया है, साथ ही यह सुझाव भी दिया गया है कि इसे कक्षा 8 और आगे तक जारी रखा जा सकता है। नीति के अनुसार, सभी छात्रों को स्कूल में तीन भाषाएँ सीखनी होंगी।
इन तीन भाषाओं का चुनाव राज्य, क्षेत्र, और छात्रों की पसंद के अनुसार किया जाएगा। हालांकि, इन तीन भाषाओं में से कम से कम दो भाषाएँ भारतीय होनी चाहिए। इनमें से एक भाषा आमतौर पर स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा होगी। यह नियम सरकारी और निजी (प्राइवेट) स्कूलों दोनों पर लागू होगा।
उच्च गुणवत्ता वाली किताबें, जैसे कि विज्ञान की किताबें, छात्रों को उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि पढ़ाई छात्रों के लिए आसान और समझने योग्य हो। अगर किसी विषय की किताब मातृभाषा में उपलब्ध नहीं है, तो शिक्षक और छात्र के बीच बातचीत की भाषा, जहाँ तक संभव हो, मातृभाषा ही रखी जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० शिक्षकों को द्विभाषिक (दो भाषाओं में) तरीका अपनाने के लिए बढ़ावा देती है। यानी जिन छात्रों की मातृभाषा और पढ़ाई की भाषा अलग है, उनके लिए द्विभाषिक पढ़ाई की सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए।